विषय सूची
आवरण कहानी: आपदा प्रबंधन में ग्राम पंचायत की भूमिका
एनआईआरडीपीआर ने मनाया सतर्कता जागरूकता सप्ताह
सामाजिक जवाबदेही टूल और तकनीकों पर क्षेत्रीय ऑनलाइन कार्यशाला सह प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी)
एनआईआरडीपीआर ने मनाई महात्मा गांधी की 152वीं जयंती
आरसेटी कॉर्नर:
माननीय केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री ने किया आईसीआईसीआई आरसेटी, जोधपुर का दौरा
आवरण कहानी:
आपदा प्रबंधन में ग्राम पंचायत की भूमिका
आपदा प्रबंधन में स्थानीय समुदाय:
भारत, अपनी भू-जलवायु स्थिति के कारण, देश के विभिन्न हिस्सों में जलवायु संबंधी आपदाओं जैसे सूखा, चक्रवात, अचानक बाढ़, हिमस्खलन और भूस्खलन आदि के प्रति संवेदनशील है। देश में नौ राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों को छूते हुए 7,516 किमी की लंबी तटरेखा है। भारतीय तट में बाढ़, चक्रवात आते है जिससे हर साल जान-माल का भारी नुकसान होता है। चुंकि आपदाओं की आवृत्ति नियमित होती है, भारत आपदा प्रबंधन अधिनियम के साथ दुनिया भर के कुछ देशों में से एक है। इस अधिनियम को वर्ष 2005 में प्राकृतिक और मानव-प्रेरित खतरों से निपटने के लिए अधिनियमित किया गया था।
भारत का आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (2005 का केंद्रीय अधिनियम 53) की धारा 2(डी) में आपदा को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, “किसी भी क्षेत्र को प्राकृतिक और मानव निर्मित कारणों से या दुर्घटना या लापरवाही से प्रभावित करने वाली विपदा, दुर्घटना, आपदा या गंभीर घटना है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन की पर्याप्त हानि या मानव पीड़ा या क्षति, और संपत्ति का विनाश, पर्यावरण की क्षतिया गिरावट होती है और इस तरह की प्रकृति और परिमाण के रूप में प्रभावित क्षेत्रों के समुदाय की क्षमता से परे है।”
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति, 2009 (एनपीडीएम) समुदाय आधारित आपदा तैयारियों पर अत्यधिक जोर देती है। नीति आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया की प्रक्रिया में समुदाय-स्तरीय संस्थानों की भूमिका को पहचानती है। पूर्व-प्रभाव चरण के दौरान, इन संस्थानों की भूमिका प्रारंभिक चेतावनी, जोखिम मानचित्रण, भेद्यता मूल्यांकन, सतर्कता और निकासी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है। प्रतिक्रिया मामलों पर, पशु देखभाल और राहत शिविर प्रबंधन सहित बचाव, राहत और प्रतिक्रिया प्रक्रियाओं में स्थानीय समुदाय की भागीदारी अत्यधिक आवश्यक है। पुनर्निर्माण के चरण में, नीति जोखिम-रहित घरों, सड़कों, पुलों, नहरों, जलाशयों और बिजली पारेषण लाइनों आदि के निर्माण की अवधारणा को रेखांकित करती है, जहाँ सरकार, प्रभावित समुदाय और ग्राम पंचायत को शामिल करके एक भागीदारी प्रक्रिया के माध्यम से योजना और डिजाइन करने की आवश्यकता होती है। यह क्षेत्रीय विविधताओं और बहु-खतरों की गहनता को देखते हुए समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन प्रणालियों पर स्थानीय लोगों और संस्थानों की उनकी विशिष्ट जरूरतों के लिए क्षमता निर्माण को भी प्राथमिकता देता है। (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति 2009, गृह मंत्रालय, भारत सरकार)।
आपदा प्रबंधन में ग्राम पंचायत की भूमिका:
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति, 2009 में पंचायती राज और शहरी स्थानीय निकायों सहित शासन के प्रत्येक खंड को स्थानीय स्तर पर आपदाओं की योजना और प्रबंधन में शामिल करने का आदेश दिया गया है। यह जागरूकता सृजन, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के माध्यम से समुदाय आधारित संस्थानों के मजबूत सहयोग को भी अनिवार्य करता है। 73वां संविधान संशोधन पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को ‘स्थानीय सरकार के संस्थानों’ के रूप में मान्यता देता है। पीआरआई को स्थानीय समुदायों और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा संचालित करने और क्षेत्र विकास की योजना में भूमिका निभाने के अनिवार्य बनाया गया है।
समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन (सीबीडीएम) अपने स्वरूप से आपदा प्रबंधन कंटिनम के सभी स्तरों को शामिल करते हुए स्थानीय आपदा प्रबंधन योजनाओं को लागू करने में ग्राम पंचायतों की भागीदारी के साथ एक विकेन्द्रीकृत बॉटम-अप दृष्टिकोण की मांग करता है। ग्राम पंचायतों को आपदा जोखिमों की पहचान, विश्लेषण, उपचार, मानिटरिंग और मूल्यांकन के लिए ‘जोखिम वाले समुदायों’ के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने की आवश्यकता है ताकि उनकी कमजोरियों को कम किया जा सके और उनकी क्षमताओं को बढ़ाया जा सके। (सीबीडीएम, एनडीएमए पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशानिर्देश, भारत सरकार, 2014)
ग्राम पंचायतों द्वारा आपदाओं के प्रबंधन पर कुछ मामला अध्ययन:
केरल राज्य में वर्ष 2018 में एक विनाशकारी बाढ़ आई। पट्ठनमथिट्टा जिले के कोजानचेरी तालुक में स्थित अरनमुला पंचायत जलप्रलय में डूबने वाली थी। अरनमुला शहर अपने आध्यात्मिक और विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यद्यपि इस क्षेत्र में बाढ़ का प्रभाव गंभीर था, किंतु पंचायत द्वारा समय पर हस्तक्षेप से अरनमुला नुकसान को कम कर सका। (स्रोत: केएसडीएमए, 2018)
ग्राम पंचायत के नेतृत्व में समय पर बचाव और पुनर्निर्माण गतिविधियों के कारण क्षेत्र में सामान्य जनजीवन बहाल हो गया। अब वे किसी भी तरह की स्थिति का सामना करने में अधिक दृढ़ हैं। (वी शल ओवरकम, केआईएलए, 2018)
ओडिशा के संबलपुर जिले के कुचिंडा प्रखंड की चांडीमल ग्राम पंचायत में भेड़न नदी से बाढ़ का खतरा है। आपदा से निपटने में समुदाय को तैयार करने के लिए, ब्लॉक प्रशासन ने स्थानीय एनजीओ, आरओपीई (रोप) के प्रशिक्षकों की मदद से, 2007 में ग्राम आपदा प्रबंधन टीमों के साथ-साथ पीआरआई सदस्यों के उन्मुखीकरण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का आयोजन किया। ग्राम पंचायत की पहल के कारण इन कार्यक्रमों में महिलाओं सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने भाग लिया। यहां पर, आपदा प्रबंधन योजना में जेंडर-मेनस्ट्रीमिंग पर भी जोर दिया गया। आपदा प्रबंधन योजना को अब पंचायत की ग्राम पंचायत विकास योजना के साथ एकीकृत कर दिया गया है। (स्रोत: ‘सामुदायिक स्तर पर आपदा न्यूनीकरण में प्रौद्योगिकी की भूमिका‘ पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्ययन सामग्री, नवंबर, 2019, एलबीएसएनएए)
आपदा प्रबंधन पर ग्राम पंचायतों की क्षमता और एनआईआरडीपीआर की भूमिका:
प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन केंद्र ने त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों, प्राकृतिक आपदाओं की प्रभावी योजना और प्रबंधन में पंचायती राज संस्थानों की भागीदारी पर समुदाय, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), समुदाय आधारित संगठनों और मास्टर प्रशिक्षकों को बुनियादी सेवाएं प्रदान करने के लिए क्षेत्र स्तर पर कार्यरत विभिन्न क्षेत्रीय विभागों के अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए ‘प्राकृतिक आपदाओं की प्रभावी तैयारी और प्रबंधन पर ग्राम पंचायतों को तैयार करना’ पर एक प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया है। ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (सीसीए) को मुख्यधारा में लाने के लिए पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) को सुदृढ करने पर मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल का उपयोग एक टूल के रूप में किया जा सकता है। समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन में पंचायती राज संस्थानों की भूमिका पर सभी संबंधित हितधारकों को प्रशिक्षित करने के लिए मास्टर ट्रेनर मॉड्यूल का उपयोग करेंगे। एनआईआरडीपीआर, हैदराबाद की क्षमता निर्माण पहल के भाग के रूप में, संस्थान समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन में ग्राम पंचायतों की भूमिका पर प्रशिक्षण कार्यक्रम, वेबिनार और अन्य कार्यक्रम आयोजित करता है। श्री जीवीवी शर्मा, आईएएस, सदस्य, राजस्व बोर्ड, ओडिशा सरकार ने ‘प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावी प्रबंधन के लिए ग्राम पंचायतों की तैयारी’ पर प्रशिक्षण के उद्घाटन भाषण के दौरान कहा कि चूंकि आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण में एक आदर्श होने के कारण, ग्राम पंचायतों को आपदा निवारण और तैयारियों में स्थानीय समुदाय को शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में 22 अक्टूबर, 2021 को ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के भाग के रूप में केंद्र द्वारा ‘प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में ग्रामीण स्थानीय निकाय’ पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। डॉ. पी.धर चक्रवर्ती, आईएएस (सेवानिवृत्त), पूर्व सचिव, एनडीएमए, गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में ग्रामीण स्थानीय निकायों’ पर विशिष्ट अतिथि के रूप में भाषण प्रस्तुत किया। डॉ. सी.जय कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, निम्हांस, बैंगलूरू द्वारा ‘आपदा और महामारी की स्थिति के दौरान प्रभावित लोगों की मनो-सामाजिक देखभाल’ पर मुख्य भाषण प्रस्तुत किया गया।
डॉ. सुब्रत कुमार मिश्रा
एसोसिएट प्रोफेसर, सीएनआरएम, सीसी एवं डीएम
एनआईआरडीपीआर, हैदराबाद
एनआईआरडीपीआर ने मनाया सतर्कता जागरूकता सप्ताह
राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान में 26 अक्टूबर, 2021 से 1 नवंबर, 2021 तक ‘स्वतंत्र भारत @ 75: अखंडता के साथ आत्मनिर्भरता’ विषय के तहत सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाया गया। कर्मचारियों में जागरूकता सृजन करने के लिए, निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।
डॉ. जी. नरेंद्र कुमार, आईएएस, महानिदेशक, एनआईआरडीपीआर ने 26 अक्टूबर, 2021 को डॉ. बीआर अंबेडकर ब्लॉक के सामने संस्थान के कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा की शपथ दिलाई।
27 अक्टूबर, 2021 को ‘स्वतंत्र भारत @ 75: अखंडता के साथ आत्मनिर्भरता’ विषय पर अंग्रेजी और हिंदी में एक निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। अंग्रेजी में सर्वश्रेष्ठ तीन और हिंदी में दो सर्वश्रेष्ठ निबंधों को पुरस्कार से सम्मानित दिए गए।
श्री एन. अंजनी कुमार, मुख्य प्रशासनिक एवं लेखा अधिकारी/मुख्य सतर्कता अधिकारी, परमाणु खनिज विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग, हैदराबाद द्वारा 27 अक्टूबर, 2021 को ‘निवारक सतर्कता’ पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि भर्ती, ठेके, खरीद और विवेकाधीन शक्तियां भ्रष्टाचार से ग्रस्त क्षेत्र हैं। एनआईआरडीपीआर ने संस्थान की गतिविधियों में पारदर्शिता, जिम्मेदारी बढ़ाने के लिए निवारक उपाय शुरू किए हैं।
29 अक्टूबर, 2021 को सामान्य ज्ञान और सीसीएस (आचरण) नियम 1964, एनआईआरडीपीआर कर्मचारी (आचरण) नियम 1968, सीसीएस (सीसीए) नियम 1965, सीवीसी अधिनियम, 2003, भारत के संविधान, कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013, जीएफआर, भ्रष्टाचार रोकथाम (संशोधन) अधिनियम, 2018 और आरटीआई अधिनियम, 2005 पर प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। छह समूहों में कुल 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया और तीन सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले समूहों को पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अतिथि वक्ता श्रीमती गिरिजा, परियोजना प्रबंधक, सखी द्वारा ‘कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसके बाद डॉ जी नरेंद्र कुमार, आईएएस, महानिदेशक, एनआईआरडीपीआर की अध्यक्षता में एक समापन समारोह आयोजित हुआ। उन्होंने किए गए उपायों को कवर किया और भर्ती और अनुबंध देने और प्रत्यायोजन के विकेंद्रीकरण में प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके सतर्कता मामलों पर अधिक जोर दिया। बाद में प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
30 अक्टूबर, 2021 को प्रशासन और लेखा कर्मचारियों के लिए निम्नलिखित विषयों पर विकास सभागार में एक कार्यशाला आयोजित की गई:
- जीएफआर, बजट और लेखा प्रक्रियाएं- श्री वाई.के.श्रीनाद, वित्त अधिकारी, एनआईएसईआर, भुवनेश्वर।
- सीसीएस (आचरण) नियम और एनआईआरडी कर्मचारी आचरण नियम, 1968- श्री वी.विजय रामी रेड्डी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (सेवानिवृत्त), बीएआरसी, वैजाग।
- भर्ती, एमएसीपी पर जोर देने के साथ स्थापना मामले- श्री सी.वी.शास्त्री, प्रशासनिक अधिकारी, एएमडीईआर, एएई, हैदराबाद।
- सॉफ्ट स्किल्स – सुश्री स्वर्ण लता, एएससीआई
- खरीद के संदर्भ में जीएफआर – श्री मनोज कुमार, एआर(ई), एनआईआरडीपीआर
‘सामाजिक जवाबदेही टूल और तकनीक’ पर क्षेत्रीय ऑनलाइन कार्यशाला सह प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टीओटी)
राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान, हैदराबाद ने डॉ. एम.जी.आर. शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थान, चेन्नई के अर्थशास्त्र विभाग और लोक प्रशासन विभाग के संकाय, विद्वानों और छात्रों के लिए 26-29 अक्टूबर, 2021 के दौरान सुशान एवं नीति विश्लेषण केन्द्र (सीजीजी एवं पीए), एनआईआरडीपीआर द्वारा ‘सामाजिक जवाबदेही टूल और तकनीक’ पर एक ऑनलाइन कार्यशाला सह टीओटी का आयोजन किया।
सुशासन निर्णय लेने और लागू करने की प्रक्रियाओं के बारे में है। यह ‘सही’ निर्णय लेने के बारे में नहीं है, बल्कि निर्णय लेने के लिए सर्वोत्तम संभव प्रक्रिया के बारे में है। सुशासन विशेषताओं का एक संयोजन है, अर्थात् जवाबदेही, पारदर्शिता, कानून के नियमों का पालन करना, प्रतिक्रियात्मकता, न्यायसंगत और समावेशी, प्रभावी, कुशल और सहभागिता। सामाजिक जवाबदेही को जवाबदेही के निर्माण की दिशा में एक दृष्टिकोण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो नागरिक जुड़ाव पर निर्भर करता है, अर्थात, जिसमें यह सामान्य नागरिक और/या नागरिक समाज संगठन हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जवाबदेही की मांग में भाग लेते हैं (विश्व बैंक, 2004)। इस नागरिक जुड़ाव का उद्देश्य नागरिकों की मांग को प्रोत्साहित करना है और इस प्रकार अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए राज्य या निजी क्षेत्र पर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए दबाव डालना है। इस समीकरण का आपूर्ति पक्ष सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन चक्र के विभिन्न चरणों को लागू करते हुए राज्य की क्षमता और जवाबदेही के निर्माण के बारे में है। सामाजिक जवाबदेही टूल स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर शासन में सुधार की मांग उत्पन्न करने के लिए ज्ञान के साथ विकास व्यवसायियों को सक्षम बनाता है। सामाजिक जवाबदेही साधन सीखने के लिए आवश्यक हैं, क्योंकि कई सार्वजनिक नीतियां तेजी से लक्ष्य उन्मुख हैं, जिनका लक्ष्य मापनीय परिणाम, लक्ष्य और निर्णय केंद्रित है।
सुशासन और नीति विश्लेषण केंद्र (सीजीजीपीए) ने इस प्रमाणपत्र कार्यक्रम के साथ सामाजिक जवाबदेही टूल में ज्ञान और कौशल के अंतर को दूर करने का प्रस्ताव रखा है।
कार्यशाला सह टीओटी का उद्देश्य निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करना है।
- प्रतिभागियों को शासन और सुशासन की अवधारणा के बारे में जानकारी देना।
- मौजूदा नीतियों में शासन की कमियों और अंतरालों की पहचान करना।
- प्रतिभागियों को कुछ महत्वपूर्ण ई-सामाजिक जवाबदेही टूल और तकनीकों के बारे में जानने में सक्षम बनाना।
- ग्रामीण विकास के मौजूदा प्रमुख कार्यक्रमों के विश्लेषण के लिए उन टूल को लागू करना।
- टूल को सत्यापित और स्थापित करना।
- बेहतर सेवा वितरण के लिए प्रतिभागियों को सामाजिक जवाबदेही साधनों के लिए ज्ञान और कौशल से लैस करना।
प्रशिक्षण कार्यक्रम निम्नलिखित मॉड्यूल को कवर करने पर केंद्रित है:
- सुशासन की अवधारणा, दृष्टिकोण और तत्व
- सामाजिक जवाबदेही की अवधारणाएं, दृष्टिकोण, तर्कसंगत और टूल
- सामाजिक जवाबदेही टूल तकनीकों का अनुप्रयोग – सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई)
- सामाजिक जवाबदेही टूल तकनीकों का अनुप्रयोग – सामाजिक लेखा परीक्षा
- सामाजिक जवाबदेही टूल तकनीकों का अनुप्रयोग – सामुदायिक स्कोर कार्ड (सीएससी)
- सामाजिक जवाबदेही टूल तकनीकों का अनुप्रयोग – बजट विश्लेषण, निधि उपयोग और सहभागी बजटिंग
- सामाजिक जवाबदेही टूल तकनीकों का अनुप्रयोग – नागरिक रिपोर्ट कार्ड (सीआरसी)
- आपूर्ति पक्ष शासन –एफएमए और एसईटी दृष्टिकोण
इस कार्यक्रम को टीओटी कार्यक्रम के दायरे और आवश्यकता; सुशासन की आवश्यकता और महत्व, सुशासन का महत्व और सुशासन के तत्व; सामाजिक जवाबदेही टूल – बजट विश्लेषण; फंड का उपयोग; सहभागी बजटिंग; सार्वजनिक व्यय ट्रैकिंग सर्वेक्षण (पीईटीएस); सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई); सामाजिक लेखापरीक्षा; सामुदायिक स्कोर कार्ड- सीएससी टूल और छह प्रमुख चरणों का वर्णन करता है: नागरिक रिपोर्ट कार्ड (सीआरसी) आदि के परिचय को कवर करने वाले विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा ‘सुशासन के लिए सामाजिक जवाबदेही टूल’ से संबंधित विभिन्न विषयों को कवर करने के लिए निर्धारित किया गया था; प्रत्येक विषय प्रश्नोत्तरी के लिए एमसीक्यू परीक्षण और असाइनमेंट दिए गए थे और तदनुसार प्रतिभागियों ने सभी को सफलतापूर्वक पूर्ण किया ।
एम.जी.आर. शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थान, चेन्नई के अर्थशास्त्र विभाग और लोक प्रशासन विभाग के संकाय, विद्वानों और छात्रों, पीआरआई, एनजीओ और सीबीओ के सदस्यों सहित कुल 73 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन टीओटी कार्यक्रम में भाग लिए। अंतिम दिन, प्रतिभागियों ने टीओटी से प्राप्त जानकारी को प्रस्तुत किया और टीओटी से प्राप्त महत्वपूर्ण सीख के आधार पर अपनी भविष्य की कार्य योजना को साझा किया। डॉ. के. प्रभाकर, सहायक प्रोफेसर, सुशासन एवं नीति विश्लेषण केंद्र (सीजीजीपीए) ने दो सप्ताह के इस ऑनलाइन टीओटी कार्यक्रम का आयोजन किया।
एनआईआरडीपीआर ने मनाई महात्मा गांधी की 152वीं जयंती
राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान, हैदराबाद ने 2 अक्टूबर, 2021 को परिसर में महात्मा गांधी ‘राष्ट्रपिता’ की 152वीं जयंती मनाई। डॉ जी नरेंद्र कुमार, आईएएस, महानिदेशक, एनआईआरडीपीआर ने महात्मा गांधी ब्लॉक के सामने महात्मा गांधी की प्रतिमा को माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके अलावा, कर्मचारियों और छात्रों ने भी महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की। श्री जी. नरेंद्र कुमार, आईएएस, एनआईआरडीपीआर और श्री शशि भूषण, निदेशक (वित्तीय प्रबंधन) एवं वित्तीय सलाहकार और उप महानिदेशक (प्रभारी), एनआईआरडीपीआर ने अंग्रेजी और हिंदी में स्वच्छता प्रतिज्ञा दिलाई।
तद्त्पचात, डॉ जी नरेंद्र कुमार ने महात्मा गांधी जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था उनके मूल्यों पर दर्शकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि गांधी एक विश्व प्रसिद्ध व्यक्तित्व हैं और उन्होंने दुनिया भर में कई लोगों को प्रेरित किया है। पिछले 75 वर्षों में, भारत ने एक विशाल परिवर्तन देखा है और एनआईआरडीपीआर जैसी संस्थाओं ने देश को आगे बढ़ाया है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में उनके उद्यमशीलता गुणों के लिए गांधी जी की प्रशंसा की। उन्होंने दर्शकों को यह भी याद दिलाया कि गांधी ने सभी को ब्रिटिश उत्पादों को खरीदना बंद करने और चरखे का उपयोग करने और अपने स्वयं के कपड़े का उपयोग करने की सलाह दी थी, ताकि गांव की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सके; वे भारत को आर्थिक गुलामी से आर्थिक स्वतंत्रता की ओर ले गए। डॉ. जी. नरेंद्र कुमार ने कहा कि गांधीजी ने कई बार कहा कि भारत अपने गांवों में बसता है और ग्रामीण औद्योगीकरण की आवश्यकता को पहले से ही समझ लिया था। बाद में महानिदेशक ने प्रशासनिक भवन में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम में श्री शशि भूषण, एफए और उप महानिदेशक (प्रभारी), डॉ एम श्रीकांत, रजिस्ट्रार (प्रभारी), एनआईआरडीपीआर, संकाय प्रमुख, संकाय, कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे।
आरएसईटीआई कॉर्नर:
माननीय केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री ने किया आईसीआईसीआई आरसेटी, जोधपुर का दौरा
श्री गिरिराज सिंह, माननीय केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री ने 18 अक्टूबर, 2021 को आईसीआईसीआई आरसेटी, जोधपुर, जो कि भारत की पहली आईजीबीसी रेटेड नेट जीरो एनर्जी बिल्डिंग है उसका दौरा किया। आरसेटी टीम ने मंत्रीजी को चल रही परियोजनाओं और आरसेटी के प्रगति पर एक संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। बातचीत के दौरान, श्री गिरिराज सिंह ने आरसेटी के तहत आयोजित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के प्रशिक्षण पश्चात प्रभाव पर ध्यान आकर्षित किया और अपने अनुभवों के आधार पर परियोजनाओं पर जानकारी दी।
श्री गिरिराज सिंह ने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के साथ एलएसए का एक कैडर बनाने और जिले में स्थानीय-आधारित उद्यम के रूप में सैंडस्टोन पत्थर की गतिविधि को शुरू करने का सुझाव दिया। इसके अलावा, मंत्री ने आरसेटी ग्रीन बिल्डिंग का भ्रमण किया और टीम के साथ लाइट ट्यूब, ग्रेविटी लाइट और जिम साइकिल जैसे नवाचारों के बारे में बातचीत की। उन्होंने छात्रावास की सुविधाओं, कक्षाओं और प्रयोगशालाओं के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने सेल फोन की मरम्मत और सेवा, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के चल रहे प्रशिक्षुओं से उनकी सीख, महत्वाकांक्षा और पाठ्यक्रम मॉड्यूल के बारे में बात की।
श्री गिरिराज सिंह ने ‘उद्यमश्री’ की पार्श्व शिक्षण कार्यशाला में भाग लिया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के 30 सफल पूर्व छात्र उपस्थित थे। मंत्री और पूर्व छात्रों के बीच आधे घंटे की चर्चा हुई। श्री गिरिराज सिंह जी ने उनके जीवन परिवर्तन की कहानियों को सुना और उनकी सफलता के लिए उन्हें बधाई दी। उन्हें ऐसा ही बने रहने और जीवन में अधिक विकास करने के लिए कहा। विशेष रूप से सक्षम लाभार्थियों के लिए स्थायी आजीविका बनाने की दिशा में आरसेटी के प्रयासों की सराहना करते हुए, मंत्री ने उन्हें कौशल उन्नयन को अपनाने और विभिन्न व्यवसायों में उपलब्ध नई तकनीकों को अपनाने का सुझाव दिया। कार्यशाला के बाद, श्री गिरिराज सिंह ने आरसेटी बाजार का दौरा किया और स्टालों में विभिन्न उत्पाद बेच रही एसएचजी महिलाओं के साथ बातचीत की।